बात से मन हल्‍का होता है

Sunday, April 11, 2010

प्रधानमंत्रीजी को एक पत्र


प्रधानमंत्री जी 
सादर वंदे
अमरीका यात्रा पर देरी से ही लेकिन हमारी शुभकामनाएं स्‍वीकार करें। वैसे तो आपको हम कुछ कहें यह गुस्‍ताखी ही होगी लेकिन आजाद भारत में जब लोग गलत काम के लिए गुस्‍ताखी दर गुस्‍ताखी करते जा रहे हैं तो मैं भी इसी तरफ एक कदम बढाकर स्‍वयं को गलत नहीं मानता। जब से होश संभाला है तब से दो देशों का नाम ही शक्तिशाली राष्‍ट़ के रूप में सुने और पढे। एक मिखाइल गोर्बाचोव के उस देश के जिसका आज कहीं अतापता नहीं है। दूसरा अमरीका का। जापान और चीन तो संघर्षशील राष्‍ट़ के रूप में ही हमेशा पेश किए गए। वैसे भी जापान और चीन को दूसरे देशों के आपसी मामलों में टांग अडाने का शौक नहीं है। अमरीका को ही यह शौक है, वो भी शायद इसलिए कि हमारे जैसे कई देश बार बार उसी की ओर ताकते हैं। हम ताकते हैं क्‍योंकि पाकिस्‍तान उसकी शरण में पडा है, हम उसकी निगाह ठण्‍डी चाहते हैं क्‍योंकि हमारा पडौसी दुश्‍मन देश उसकी चम्‍चागिरी करके हर बार उसकी ठण्‍डी निगाह से कोई न कोई फायदा उठा लेता है। वैसे भी मुझे देश की विदेश नीति का इतना ज्ञान नहीं है, लेकिन आम भारतीय के रूप में मेरा सोचना है कि यह देश अमरीका का गुलाम न तो पहले था और न अब है। पाकिस्‍तान अगर उसकी गोद में जाकर ही बैठ जाए या फिर ओबामा सहित कोई भी अमरीकी राष्‍ट़पति अगर इस्‍लामाबाद में बैठकर ही राजनीति शुरू कर दें तो हमें नहीं घबराना चाहिए। इस दुनिया में भारतीय अपने बूते जीता है और अपने दम पर ही आगे बढा है। आज अमरीका सहित समुची दुनिया की अर्थ व्‍यवस्‍था में हमारी भूमिका के बारे में आपको बताना और सूरज के सामने दीपक जलाने जैसा होगा। जब हम स्‍वयं शक्ति हैं तो दूसरी शक्तियों के सामने झुक कैसे सकते हैं। लोग आपको कमजोर प्रधानमंत्री कहते हैं लेकिन मेरा मन कहता है कि अमरीका में होने वाले अंतरराष्‍ट़ीय सम्‍मेलन में आप कमजोर दिखाई नहीं देंगे। शायद आप यह कहने में सफल होंगे कि अमरीका हमारी पंचायती करना छोड दें( वैसे भारत में आपने कई बार ऐसा कहने का साहस दिखाया है)। अमरीका चाहता है कि हम परमाणु हथियार की होड से बाहर हो जाएं। अरे भई हम होड में ही कहां ? हम तो पहले ही होड जीत चुके हैं। अमरीका को चाहिए कि वो पाकिस्‍तान को समझाएं कि हमारी बराबरी करने का सपना छोड दें। फिर अमरीका यह सलाह देने वाला होता भी कौन है ? रूस के साथ अमरीका की परमाणु हथियार की होड ने ही तो समूची दुनिया को इस विनाश की ओर आगे बढाया है। तभी तो हमारे जैसे भोले भाले देशों को पता चला कि परमाणु हथियार बना लेते हैं ताकि आगे काम आएगा। अब हेलरी‍ मैडम का कहना है कि भारत और पाकिस्‍तान के बीच होड के कारण परमाणु हथियार का बाजार गर्म हो रहा है तो हम मान लेते हैं। अगर यह होड हमारी है तो हमारे पर ही छोड देनी चाहिए।
प्रधानमंत्रीजी आप ही तो कहते हैं कि हम विकसित भारत की ओर बढ रहे हैं जब हम विकसित देश हो रहे हैं तो अमरीका जैसे छोटे से देश को इतना भाव देना कहां तक जरूरी है। हेलरी जहां से जीत कर आती है उतने वोटों के सांसद को तो हमारी संसद में पीछे वाली सीट भी मुश्किल से मिलती है। उसकी बात पर ज्‍यादा ध्‍यान देना भी कहां जरूरी है।
मौका पडे तो आप इतना जरूर कहना कि अमरीका पहले हमारी पंचायती छोडे और अपने देश को संभाले। हमारे यहां हो रही आतंककारी घटनाओं के अपराधी को हमारे हवाले करने में सहयोग करें। कहते हैं चोर की दाडी में तिनका होता है, इसलिए अमरीका अपनी दाडी हमारे सामने खुजाने के लिए भी तैयार नहीं है। हेडली तो एक उदाहरण है, ऐसे कई उदाहरण मिल जाएंगे कि अमरीका नहीं चाहता कि हम उससे आगे एक बडी शक्ति के रूप में सामने आएं।
जोश में कुछ ज्‍यादा कह दिया तो क्षमा।
आपका ही
प्रेम भारतीय

2 comments:

Anonymous said...

ANURAG JI AAP KA PATRA ACHHA LAGA .

Vinay Kaura said...

anurag bhai, your letter has said all whatever an ordinary indian feels about the USA. As an Indian, I liked your letter.
Yet it was an emotional letter. because the world of international politics is not as simple as you have described. It is very complicated. So we should not expect the Prime Minister to express his views from the heart.
Anyway keep writing on these issues.