बात से मन हल्‍का होता है

Saturday, May 29, 2010

अब तो संभलो भारत पाक

भारत में पश्चिमी बंगाल की रेल पटरियों को उडाकर नक्‍सलियों ने सौ से अधिक लोगों की जान ले ली। यह खबर दिनभर न्‍यूज चैनल्‍स पर बनी रही और बाद में एक खबर पाकिस्‍तान से आई। वहां मस्जिदों पर हमला कर दिया गया और करीब सौ लोगों की जान चली गई। खुदा की इबादत करने पहुंचे मुस्लिम लोगों को इसका निशाना बनाया गया। भारत में कौन मरा, इसका कोई रिकार्ड नहीं है क्‍योंकि उसमें मरने वाले हिन्‍दू और मुसलमान सभी है। सुबह से शाम तक इस खबर को देखने के बाद यह समझ आया कि आखिर दोनों देश एक दूसरे पर आरोप प्रत्‍यारोप कब तक लगाते रहेंगे। आखिर कब तक पाकिस्‍तान इस बात को नहीं समझेगा कि भारत में आतंक फैलाकर वो खुश नहीं रह सकता। दोनों ही देशों की हालात पिछले कुछ वर्षों में आतंकवाद के नाम पर इतनी बिगडी है कि दोनों को संभलने में ही वर्षों लग जाएंगे। मैं दोनों ही देशों के हालात को कुछ अलग नजरिए से देख रहा हूं। हो सकता है कि मैं गलत हूं लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि भारत और पाकिस्‍तान दोनों ही ग़ह युद़ध के रूप में देखता हूं। ऐसा लगता है कि दोनों देशों को अपने घर में ही इतना उलझना पड रहा है कि दुनियाभर में अपनी धाक जमाने का काम दोनों का ही पीछे रह गया है। विदेशी ताकतों की कोशिश भी यही है कि एशिया महा‍द्वीप के दोनों देश कमजोर ही रहें। अंग्रेजों ने भारत को गुलाम रखते हुए भी एक दूसरे को लडाने का काम किया और आज भी अंग्रेजीयत वाले देश यही काम कर रहे हैं। भारत के नक्‍सवादियों को विदेशों से हथियार मिल रहे हैं और पाकिस्‍तान के आतंककारियों को भी विदेशी ही साजो सामान दे रहे हैं। अब तक दोनों देश एक दूसरे पर तलवार चलाते आए हैं क्‍या यह सही नहीं है कि अब दोनों देशों को मिलकर इस आतंकवाद के खिलाफ लडना होगा। दोनों देशों की स्थिति कमोबेश एक जैसी है। संकट के इस दौर में विदेशी ताकतों से लडने के लिए तो भारत और पाकिस्‍तान को साझा रणनीति बनानी ही चाहिए। मैं यहां पाकिस्‍तान को किसी भी सूरत में भारत के दुश्‍मन के रूप में नहीं देख रहा। दुश्‍मन पाकिस्‍तान की रणनीति और राजनेता हो सकते हैं लेकिन वहां हमलों में मारे जा रहे तो आखिरकार इंसान ही है। कमोबेश ऐसा ही पाकिस्‍तानी राजनीति को समझना चाहिए कि भारत में जिन आतंककारियों को वो सहयोग कर रहा हैं, उनके द्वारा मारे जा रहे भी इंसान है। हम दोनों कभी एक हुआ करते थे फिर दो भाई अपने ही पडौस में रह रहे भाई के यहां खून की होली से कैसे अपना तिलक कर सकता है। नक्‍सलवाद भारत में आतंकवाद का नया नाम है। रेड टेरेरिज्‍म ने भारत को अंदर तक हिला दिया है। सत्‍ता पूरी तरह असहाय हो चुकी है, लोगों की मौत पर मंत्री ममता राजनीति करके चली जाती है। हमें हमारे नेताओं पर शर्म आती है, शायद पाकिस्‍तानी नेताओं को भी अपने नेताओं पर शर्म आती होगी। क्‍यों न नेताओं को किनारे रखकर दोनों देशों के आम नागरिक ही इस बारे में सोचे।