Tuesday, April 20, 2010
मोदी क्रिकेट के नायक या खलनायक
ललित मोदी। वो शख्सियत जो क्रिकेट की दुनिया में आंधी की तरह आई और शायद अब तुफान की तरह जाएगी। विदेशी शिक्षा से दक्ष इस खिलाडी ने देशभर में राजनीति का जितना लाभ उठाया शायद क्रिकेट से जुडा कोई खिलाडी भी नहीं उठा सका। एक छोटा सा उदाहरण तो यह है कि ललित मोदी राजस्थान में तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के साथ उनके संबंध काफी अच्छे थे। हालात ऐसे थे कि भारतीय प्रशासनिक सेवा और भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी तक ललित मोदी से घबराते थे। फण्डा सिर्फ इतना था कि मोदी मुख्यमंत्री को मुख्यमंत्री साहिबा नहीं बोलकर वसु बोलते थे। इतनी नजदीकी जताते थे जैसे उनके घर के व्यक्ति हो। यहां तक कि पुलिस अधिकारी को बीच मैदान में मोदी इस तरह डांटते थे जैसे वो डीजी हैं और अधिकारी अदना सा सिपाही। राजस्थान में तो मोदी ने आईपीएस अधिकारी तक को इसी तरह डांटा, फटकारा। इससे पहले मोदी ने क्रिकेट की दुनिया में हिमाचल प्रदेश से प्रवेश किया था, वहां हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के सदस्य बने। हां, वहां मोदी की ज्यादा नहीं चली और उन्हें वहां से चलता कर दिया गया। इसके बाद वो राजस्थान में नागौर क्रिकेट एसोसिएशन के सदस्य बनकर आरसीए में आए। आरसीए में कई धुरंधरों को आउट करते करते मोदी ने आरसीए अध्यक्ष का पद छीन लिया। रुंगटा परिवार का रुतबा मोदी ने ही खत्म किया। मोदी की भले ही कितनी ही बुराई हो लेकिन राजस्थान में उन्होंने क्रिकेट को जीवित कर दिया, खिलाडियों को आगे बढाया, आक्रामक स्थिति में क्रिकेट को ला दिया। कारण साफ था कि अब तक राजस्थान क्रिकेट सरकारी स्टाइल में चल रहा था। कभी वसुंधरा राजे के खास माने जाने वाले मोदी बाद में शरद पंवार गुट में शामिल हो गए। मौका मिला तो उन्होंने पंवार को ही बीसीसीआई का अध्यक्ष बनाने के लिए लॉबिंग की, सफलता भी मिली तो इस सफलता को दिलाने का प्रसाद भी मिला। जब मोदी को लगा कि वो बीसीसीआई में कुछ खास नहीं कर सकेंगे क्योंकि शरद पंवार की हस्ती के आगे वो नहीं टिकेंगे तो उन्होंने पंवार का साथ देकर उनसे आईपीएल शुरू करने की पेशकश रखी। स्थिति साफ हुई और मोदी आगे बढ गए, उन्हें आईपीएल का सर्वेसर्वा बना दिया गया।
विदेशों में पढे मोदी का हिमाचल प्रदेश, राजस्थान या फिर बीसीसीआई क्रिकेट से कभी कोई लेना देना नहीं रहा। वो क्रिकेट के खिलाडी भी नहीं रहे। इसके बावजूद उनकी आय बढती ही चली गई, फिलहाल मोदी पर आयकर विभाग की वक्र द़ष्टि के आरोप भर है लेकिन सिद्व होने की संभावना कम नहीं है। मोदी ने आयकर विभाग को ही पांच गुना अधिक आयकर दिया है। सूत्रों की माने तो राजस्थान में पिछले वर्ष सर्वाधिक आयकर देने वालों की सूची में भी मोदी का नाम आ गया। आखिर इतनी तेज गति से उनका धन बढा कैसे ? खैर कुछ भी हो मोदी फिलहाल फंस चुके हैं और उनके लिए अब बाहर निकलना आसान नहीं होगा। संसद में चली राजनीति के बाद शरद यादव, मुलायम सिंह यादव और लालू प्रसाद यादव की तेज गेंद मोदी सहन नहीं कर सकेंगे और शायद इसी घबराहट में मोदी हिट विकेट आउट हो जाएंगे। वैसे क्रिकेट के अच्छे के लिए मोदी ने जो कुछ उसके लिए उनका धन्यवाद। गलत किया तो अब कौन बचाएगा? क्रिकेट को आईपीएल नाम का नया संस्करण देने वाले मोदी क्रिकेट के नायक हैं या खलनायक ?
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