बात से मन हल्‍का होता है

Sunday, September 6, 2009

अरे, सुधर जा पाकिस्‍तान


पिछले कुछ दिनों से पाकिस्‍तान के बारे में कुछ न कुछ पढ़ने को मिल रहा है। एक दिन पढ़ने में आया कि भारत से एक नाव पाकिस्‍तान में चली गई तो पाक सैनिकों ने काफी मेहनत करके भारतीय नाव को न सिर्फ बचाया बल्कि उसमें बैठे करीब तीन दर्जन लोगों को सही सलामत ससम्‍मान वापस भारत के हवाले भी किया। मन को सुकून मिला कि पाकिस्‍तान के साथ ऐसे रिश्‍ते कितने अच्‍छे होते हैं। इस बीच एक खबर आई कि पाकिस्‍तान ने अपने हथियारों की दिशा को भारत की तरफ कर दिया। सोचा कि यह तो रोज की खबर है कोई चिंता की बात नहीं। आज फिर यही बात समाचार पत्रों में प्रमुखता से है कि पाक के एटमी इरादे खतरनाक हो रहे हैं। इस बार अमेरीकी कांग्रेस की ताजा रिपोर्ट भारत के लिए चिंता का कारण बनी है। पाकिस्‍तान अपने परमाणु शस्‍त्रों की गुणवत्‍ता और संख्‍या बढ़ाने में लगा हुआ है। कांग्रेशनल रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट के मुताबिक इस्‍लामाबाद के शस्‍त्रागार में लगभग साठ परमाणु बम है और जरूरत पड़ने पर इनकी संख्‍या बढ़ जाएगी। हालांकि रिपोर्ट पर संदेह का मजबूत कारण यह है कि पिछले सप्‍ताह ही यह संख्‍या सौ बता दी गई थी। पाकिस्‍तान के शस्‍त्रागार में भले ही कितने ही परमाणु हो, मुद़दा यह है कि पाकिस्‍तान बार बार इस मामले में हलचल क्‍यों करता है? क्‍या कारण है कि पाकिस्‍तान और भारत के बीच किसी न किसी मामले को लेकर अनबन बनी ही रहती है। दो अच्‍छे पड़ौसी का मन मुटाव होता है और न चाहते हुए भी इस तरह के विवाद उठते हैं तो एक दिन स्थिति विस्‍फोटक बन ही जाती है। अगर भारत और पाकिस्‍तान के बीच ऐसे हालात बने तो निश्चित रूप से स्थिति अत्‍यंत विस्‍फोटक होगी। सीमावर्ती क्षेत्र में रहने के कारण मैं युद़ध नहीं बल्कि इसकी तैयारी मात्र की कल्‍पना से 'भयभीत' हो जाता हूं। सोचता हूं कि दुनिया के नक्‍शे से यह देश साफ हो जाएगा। पाकिस्‍तान का नाम लेने वाला कोई नहीं रहेगा। मैंने करगिल और इसके बाद हाल ही में वार की आशंका मात्र पर बनी परिस्थितियों को नजदीक से देखा है।
चिंता पाकिस्‍तान में भी कम नहीं है
''पाकिस्‍तानंस न्‍यूक्लियर वेपन्‍स - प्रोफेशनल एंड सिक्‍योरिटी इश्‍यू'' शीर्षक वाली रिपोर्ट में पाकिस्‍तान की चिंता भी साफ दिखाई देती है। पाकिस्‍तान को भय है कि भारत की नई शस्‍त्र प्रणाली पाकिस्‍तान के लिए काफी घातक साबित हो सकती है। पाकिस्‍तानी विदेश मंत्रालय ने भी इस मामले में काफी गंभीरता से टिप्‍पणी की है। यानि दोनों तरफ हालात एक जैसे हैं और दोनों तरफ से अगर कहीं भी गड़बड़ हुई तो चिंता हो जाएगी।
पाक के लिए शस्‍त्र के बजाय अर्थ की चिंता जरूरी
वैसे पाकिस्‍तान की ही एक रिपोर्ट में वहां की आर्थिक स्थिति के बारे में समीक्षा की गई है। जो काफी चिंताजनक है। पाकिस्‍तान को वर्तमान परिस्थितियों में अपने शस्‍त्रगारों की चिंता छोड़कर अपने देश की आर्थिक स्थिति पर चिंतन और मनन करना चाहिए। सोचना चाहिए कि युवाओं को किस तरह दुनिया से जोड़ा जाए। किस तरह देश की आर्थिक स्थिति को सुधारा जाए। मैं एक बार फिर कहना चाहूंगा कि पाकिस्‍तानियों में कोई गड़बड़ नहीं है, वहां के लोग अच्‍छे हैं, मैं छह दिन तक उनके साथ एक ही कमरे में रहा हूं, गड़बड़ है तो पाकिस्‍तानी नेताओं के दिमाग में। मेरे साथ नेपाल में रहे पाकिस्‍तानी पत्रकार शोएब भी मानता था कि पाकिस्‍तानी नेता ही देश का कबाड़ा करने में जुटे हुए हैं।
पाकिस्‍तानी नेताओं की ओर से शस्‍त्रों की सार संभाल पर अंत में एक ही बात कहूंगा
इनसे न तलवार उठेगी, न खंजर। ये बाजू हमारे आजमाए हुए हैं।