बात से मन हल्‍का होता है

Saturday, January 24, 2009

एक मुलाकात अमिताभ बच्‍चन से


जयपुर में इन दिनों चल रहे साहित्‍योत्‍सव में आए अमिताभ बच्‍चन को राजस्‍थान पत्रिका के मुख पृष्‍ठ पर देखकर कुछ पुरानी बातें याद आ गई। आपके साथ बांटना चाहूंगा। पत्रकारिता के दस वर्ष के जीवन में कुछ पल अविस्‍मरणीय है तो उनमें एक अमिताभ बच्‍चन से मुलाकात भी है। मैं और मेरे जैसे हजारों पत्रकारों ने अमिताभ बच्‍चन के साथ साक्षात्‍कार किया होगा लेकिन मेरे लिए साक्षात्‍कार और साक्षात्‍कार और साक्षात्‍कार से पहले के हालात दोनों ही अपरिकल्‍पनीय है। अमिताभ बच्‍चन ने दोनों बार  बीकानेर में अमिताभ बच्‍चन अपनी फिल्‍म वतन तुम्‍हारे हवाले साथियों की शुटिंग के लिए आए थे। हमारे साथी बृजमोहन आचार्य को अमिताभ बच्‍चन से बातचीत के लिए जिम्‍मेदारी सौंपी गई। सुबह सवेरे ही वो बीकानेर के लालगढ पैलेस पहुंच गए। अमिताभ बच्‍चन यहीं रुके हुए थे। शूटिंग के लिए निकलते वक्‍त दो मिनट का वक्‍त भी मिलता तो हमारा काम बन जाता। काफी देर इंतजार के बाद भी अमिताभ बच्‍चन से मुलाकात तो दूर एक झलक तक देखने को नहीं मिली। सुबह से शाम हो गई लेकिन हजारों दीवानों की तरह हम भी परेशान होते रहे। हमारी परेशानी देखकर महाभारत धारावाहिक में द्रौणाचार्य की भूमिका निभाने वाले सिंह ने हैरान थे। सब लोग अमिताभ बच्‍चन के साथ शूटिंग वाले स्‍थान के लिए रवाना हो गए लेकिन हमारे रिपोर्टर वहीं जमे हुए थे। इस पर सिंह ने कहा कि अमिताभ बच्‍चन जैसे संवेदनशील व्‍यक्ति फिल्‍म जगत में कोई नहीं है। उन्‍होंने युक्ति सुझाई जो काम आ गई। बृजमोहन जी ने एक कागज पर लिखा कि आपका साक्षात्‍कार करना मेरे लिए बहुत आवश्‍यक है, आपके दो मिनट ही मेरे लिए महत्‍वपूर्ण होंगे। यह कागज सिंह के सहयोग से हमने अमिताभ बच्‍चन के कमरे में दरवाजे के नीचे से डाल दिया। शाम को जब अमिताभ बच्‍चन शूटिंग से लौटे तक तक शाम के सात बज गए। सुबह से ड़यूटी पर तैनात बृजमोहन को रीलिव करके मैं वहां खडा हो गया। वो अभी होटल से बाहर ही निकला होगा कि एक सज्‍जन बाहर रिसेप्‍शन आया और बोला राजस्‍थान पत्रिका से कौन है? जिसने अमित जी के कमरे में पत्र डाला था। मैंने कहा वो मेरे साथी थे, अब उनकी जगह मैं हूं। उन्‍होंने कहा कि सिर्फ आपसे अमिताभ जी मिलना चाहते हैं। अमिताभ से मिलने के लिए सुबह से रात तक मेहनत करने वाले बृजमोहन की मेहनत को मैं दरकिनार नहीं कर सकता था, उन्‍हें वापस बुलाया। हम लोग अमिताभ बच्‍चन से दो मिनट के बजाय बीस मिनट तक मिले। उन्‍होंने हमारे हर सवाल का जवाब बडे मजे से दिया। कभी हंसे तो कभी गंभीर हुए। जब हमने हरिवंशराय बच्‍चन का नाम लिया तो बिग बी गंभीर हो गए। उन्‍होंने अग्निपथ की वो पंक्तियां :: तो कर शपथ अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ:: भी सुनाई जो उन्‍होंने अपनी फिल्‍म में भी बोली थी। पिता के जाने का दर्द उनके चेहरे पर साफ झलक रहा था। जब हमने उनके जीवन पर फिल्‍म बनने की बात पूछी तो हंस पडे बिल्‍कुल बच्‍चों की तरह। बोले ऐसा हुआ तो फिल्‍म फ़लाप हो जाएगी। यह पहला अवसर था जब हम सवाल पूछते थक गए लेकिन अमिताभ बच्‍चन बिल्‍कुल नहीं थके। 
इसके बाद द्रोण फिल्‍म की शूटिंग के लिए अमिताभ बच्‍चन के बेटे अभिषेक बच्‍चन बीकानेर आए। यहां उनसे भी बातचीत करने का अवसर मिला। लेकिन सच अमिताभ बच्‍चन तक पहुंचना अभिषेक बच्‍चन के लिए बहुत मुश्किल नहीं शायद असंभव है। फोटो वेबसाइट से