
पिछले कुछ समय से सोच रहा हूं कि आखिर ब्लॉग पर पाठक आने कब शुरू होंगे ? वर्तमान में तो ब्लॉग पर लेखक ज्यादा है पाठक कम। मैं पिछले एक वर्ष से ब्लॉग लिखकर मन की भड़ास निकाल रहा हूं। इस एक वर्ष में मैंने ब्लॉग पर आ रहे आलेखों और पाठकों की प्रतिक्रियाओं को देखकर अपना आकलन किया है। संभव है कि यह आकलन पूरी तरह सतही हो लेकिन वाल्तेयर के पद चिन्हों पर चलते हुए अभिव्यक्ति की अपनी स्वतंत्रता को कायम रखते हुए कहना चाहूंगा। हिन्दी ब्लॉग पर अब तक पाठकों के आने का सिलसिला शुरू ही नहीं हुआ। जो लोग सिर्फ पढ़ने के लिए आ रहे हैं, वो या तो बड़े ब्लाग जैसे कि अमिताभ बच्चन का बिग अड़डा पर ही आ रहे हैं। कुछ आलोचक व समालोचक के पाठक जरूर आ रहे हैं लेकिन शेष के लिए हम ही पाठक है और हम ही लेखक। एक दूसरे की हौंसला अफजाई और ब्लॉग के बारे में पढ़ने और उसे संवारने की कवायद ज्यादा है। जो ब्लॉगर किसी के ब्लॉग में नयापन देने के लिए कुछ न कुछ लिंक दे रहे हैं, उनके पाठक भी ज्यादा है और फॉलोवर भी। आशीषजी का ब्लॉग इसका उदाहरण है। निसंदेह उन्होंने और उनके जैसे दूसरे मित्रों ने सभी ब्लॉगर्स को हुलिया सुधारने और सलीके से ब्लॉग बनाना सिखाया है। कुछ ब्लॉग नौटंकी जैसे भी है, जिन पर मैटर के नाम पर कुछ नहीं है, हंसी मजाक जरूर है। हां हिन्दी चैनल मीडिया से जुड़े कुछ पत्रकारों के ब्लॉग जरूर पठनीय होते हैं। उनमें न सिर्फ विचार है बल्कि जानकारियों का खजाना भी है। अधिकांश ब्लॉगर नियमित लेखन के बजाय कुछ मैटर हाथ लगने पर अपनी भड़ास निकाल देते हैं, जी हां, ठीक मेरी तरह। अगर आप ब्लॉग दुनिया के बारे में कुछ लिख रहे हैं तो पाठक खूब आ जाएंगे क्योंकि स्वयं ब्लॉगर ही उसे पढ़ते हैं। यह मुझे तब पता चला जब मैंने पिछले दिनों आशीष जी को बिन मांगी नसीहत दे डाली। इतनी संख्या में लोग पहुचेंगे, यह मुझे ज्ञात नहीं था। इसके बाद पिछली तीन पोस्ट भाजपा पर लिखी लेकिन रेस्पोंस बहुत कमजोर नहीं, नगण्य है। मैंने सोचा कि यह मेरी लेखनी की कमजोरी है कि लोग मेरे ब्लॉग पर नहीं आ रहे। बाद में दूसरे लेखकों के ब्लॉग भी देखने शुरू किए। मैं यहां किसी के नाम का उल्लेख नहीं कर रहा लेकिन आप अपनी किसी गंभीर पोस्ट के पाठकों के बारे में विश्लेषण प्राप्त करें। पता चलेगा कि उन पर पाठक सबसे कम आए हैं। मुझे लगता है जिस गति से हम ब्लॉग पर पोस्ट डाल रहे हैं, उसी गति से इसके स्तर में सुधार के साथ साथ पाठकों की संख्या में वृद्वि करनी होगी। कई बार पढ़ता हूं कि ब्लॉगर्स मीट का आयोजन होता है। ऐसी मीट के बजाय हम आम लोगों को ब्लॉग के बारे में जानकारी दे ताकि लोग कुछ पढ़ने के लिए ब्लॉग पर क्लिक करें। विशेषकर उन लोगों को जानकारी देनी चाहिए, जो इंटरनेट पर तो रोज बैठते है लेकिन ब्लॉग नहीं देखते। मैंने यह भी महसूस किया है कि प्रमुख लेखक अब भी ब्लॉग पर अपना आलेख नहीं देते। इसका एक कारण तो वरिष्ठ लेखकों, चिंतकों व समालोचकों को नेट का कम ज्ञान हो सकता है दूसरा इस ब्लॉग दुनिया के प्रति उनकी अरुचि। मेरे शहर बीकानेर में ही डॉ नन्दकिशोर आचार्य, हरीश भादाणी, मालचंद तिवाड़ी, अनिरुद्व उमट सहित ऐसे दर्जनभर लोग हैं, जिन्हें पढ़ने की चाहत है लेकिन ब्लॉग की जानकारी नहीं। जो ब्लॉग रेटिंग तय कर रहे हैं, उन्हें भी विषय वार रेटिंग देनी चाहिए। खेल पर किसने अच्छा लिखा, साहित्य पर किसने बाजी मारी, समसामयिक विषयों पर किसकी कलम तीखी रही। इससे अच्छे पाठकों को जोड़ने में सफलता मिल सकती है। ऐसे लोगों को ब्लॉग पर जोड़ने के लिए प्रयास होने चाहिए। भले ही उनसे अनुमति लेकर कोई भी आलेख को अपने ब्लॉग पर देना शुरू करें। अंत में कहना चाहूंगा कि ब्लॉगवाणी में जो रेटिंग आ रही है उसमें प्रथम दस ब्लॉग की सामग्री देखकर सभी यह चिंतन करें कि कैसे ब्लॉग की दुनिया को नया मोड़ दिया जा सकता है।