Sunday, March 28, 2010
अमिताभ बच्चन आतंककारी है क्या ?
महाराष्ट. के एक कार्यक्रम में अमिताभ बच्चन क्या पहुंच गए, कांग्रेसियों के ललाट पर सलवटे पडने लगी। अमिताभ बच्चन तो हस्ती है, इस देश की धरोहर है, अपने दम पर अपना वजूद बनाने वाला व्यक्तित्व है, संघर्ष से जूझने का एक उदाहरण है, देश के एक अरब लोग हिन्दी फिल्म नहीं देखते लेकिन दुनिया के अरबों लोग उसके दिदार को तरसते हैं। आज उसी अमिताभ बच्चन की उपस्थिति मात्र ने कांग्रेसियों के ललाट पर सलवट ला दी। पिछले दिनों आईपीएल के टिकट को लेकर एक नेताजी का जो विज्ञापन आता था कि टिकट नहीं मिला तो पार्टी हिला देंगे। कांग्रेस पार्टी की स्थिति कमोबेश ऐसी ही है। जिन लोगों ने अमिताभ बच्चन का विरोध किया, उनमें अधिकांश तो अमिताभ बच्चन के साथ एक फोटो खिंचवाने के लिए तरसते होंगे। सवाल यह है कि गुजरात के ब्रांड अम्बेसडर होने से क्या अमिताभ बच्चन भाजपाई हो गए? क्या अमिताभ बच्चन देशद्रोही हो गए ? क्या अमिताभ बच्चन इस छोटे से कार्यक्रम में भारतीय नागरिक होने की हैसियत से भी नहीं पहुंच सकते थे और बडा सवाल कि क्या देश के शासन को चलाने वाली कांग्रेस के पास अब इन्ही बातों पर ध्यान देने का वक्त रह गया है? क्या कांग्रेस उस अमिताभ बच्चन को भूल गई जिसने इलाहदाबाद में हेमंतीनंदन बहुगुणा जैसे कद़दावर नेता को हराकर कांग्रेस के तत्कालीन सर्वेसर्वा राजीव गांधी की नाक बचाई थी। आज उन्हीं के एक कार्यक्रम में आने से क्या सोनिया गांधी की नाक कट गई? दुख तो इस बात का है कि अमिताभ के बाद अभिषेक बच्चन का भी विरोध शुरू कर दिया गया। हमारी राजनीतिक व्यवस्था की इतनी असहाय हो गई है कि आम आदमी की चिंता करने के बजाय आलाकमान की व्यक्तिगत और नितांत पारीवारिक द्वेषता को एक ऐसी राजनीतिक पार्टी से जोड देते हैं जिस पर फिलहाल देश के एक अरब लोगों की अरबों समस्याओं से जुझने का जिम्मा है। प्रधानमंत्री पद का त्याग करने वाली सोनिया गांधी क्या इस छोटे से मुददे पर पार्टी को चुप रहने की हिदायत नहीं दे सकती। इस घटनाक्रम ने अमिताभ बच्चन को नहीं बल्कि कांग्रेस पार्टी को ही बदनाम किया है।
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6 comments:
congress ab sonia-rahul se aage kuchh nahin sochti...
कांग्रेस घृणा की राजनीति करती रही है, इसकी नजर में कलाकार सिर्फ वे हैं जो इसके आगे अपनी पूंछ हिलायें
जो पार्टी मणिशंकर अय्यर को साहित्यकार मानकर राज्यसभा में नामजद करती हो उसकी दिवालिया अक्ल के बारे में क्या कहा जाय?
काफी दिनों के बाद आपकी पोस्ट पढने का मौका मिला आपकी कलम का जवाब नहीं ।
जय हो... बधाई कि आपने फिर घोड़ों को खुले मैदान में छोड़ दिया है... इस बार लम्बा ब्रेक मत कीजिएगा।
काश! आतंककारी होते तो प्रिय होते.
भैया
लिखोगे सच
तो बनोगे तनखैया.
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