बात से मन हल्‍का होता है

Monday, July 13, 2009

लाल बहादुर शास्‍त्री की मौत के कारण सार्वजनिक क्‍यों नहीं ?


देश के पूर्व प्रधानमंत्री और राजनीति में बेदाग रहने वाले इक्‍का दुक्‍का प्रधानमंत्रियों में एक लाल बहादुर शास्‍त्री की मौत के कारण सार्वजनिक करने से देश के विदेशी संबंध बिगड़ सकते हैं। कुछ ऐसे ही तर्क के साथ केंद्र सरकार ने पिछले दिनों सूचना के अधिकार के तहत मौत पर पर्दा बनाए रखा। एक लेखक अनुज धर ने प्रधानमंत्री कार्यालय में सूचना के अधिकार के तहत आवेदन करके देश के महान प्रधानमंत्री की मौत के बारे में अधिकृत सूचना मांगी थी। इसके जवाब में प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा कि इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करने से देश के विदेशी संबंध खराब हो सकते हैं। चिंता की बात है कि देश के नागरिक अपने ही प्रिय प्रधानमंत्री की मौत के बारे में नहीं जान पा रहे। देश के आंतरिक मामलों में प्रधानमंत्री कार्यालय की समझ निश्चित रूप से ज्‍यादा होगी लेकिन अनुज धर ने एक बार फिर सोचने के लिए मजबूर कर दिया कि सूचना के अधिकार का स्‍तर कहां तक सीमित है। 11 जनवरी 1966 को शास्‍त्रीजी का निधन पूर्व सोवियत संघ के ताशकंद में हो गई थी। तब वहां के रूसी खानसामे को शास्‍त्री जी को जहर देने के आरोप में गिरफ़तार किया गया था लेकिन बाद में छोड दिया गया। शास्‍त्रीजी के निधन के बाद उनके निजी चिकित्‍सक आर एन चुग और कुछ रूसी चिकित्‍सकों ने ही शव का परीक्षण किया था। पोस्‍टमार्टम नहीं किया गया। अब उनके पुत्र सुनील शास्‍त्री भी जानना चाहते हैं कि उनकी मौत कैसे हुई। अब स्‍वयं शास्‍त्री बता रहे हैं कि उनके पेट व कमर पर कई जगह नीले निशान थे। शास्‍त्री का कहना है कि जहां भी मैं जाता हूं, वहां लोग पूछते हैं कि  आखिर उनकी मौत कैसे हुई। यह विडम्‍बना ही है कि सवाल का जवाब स्‍वयं उनके पुत्र के पास नहीं है। इस देश में शास्‍त्रीजी की तरह सुभाषचंद्र बोस की मौत भी एक अबुझ पहेली है। मैंने बचपन में सुना था कि बोस आज भी जंगलों में है। देश की आजादी के बाद वो सामने नहीं आए। सच क्‍या है, पता नहीं लेकिन जानना सब चाहते हैं कि जय जवान जय किसान का नारा देने वाला नेता कहीं अब यह तो नहीं कह रहा ''जय हो देश के कानून की''।

5 comments:

श्यामल सुमन said...

पता नहीं यह "लोक कल्याणकारी" सरकार क्यों नहीं बताना चाहती है? जबकि यह जानना सभी का हक है।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

Astrologer Sidharth said...

गंभीर सवाल खड़ा किया है आपने। सूचना के अधिकार का भी और शास्‍त्रीजी के निधन के कारणों का भी।

Anonymous said...

http://chitthacharcha.blogspot.com/2009/07/blog-post_9148.html

यह लिंक देखें आपकी चर्चा है।

Rakesh Singh - राकेश सिंह said...

अपने देश मैं कई बड़े बड़े नेताओं की मृत्यु रहस्मय स्थिती मैं हुई (शास्त्री जी, सुभाष बोस, श्यामा प्रशाद मुखर्जी, दिन दयाल उपाध्य, माधव राव सिंदिया) और अपनी सरकार कभी भी इससे जुडी सही जानकारी जनता को नहीं देगी, क्योंकी इससे उनका वोट बैंक खतरे मैं पद सकता है | वेदेशी सम्बन्ध तो एक बहाना है |

vijay said...

Sirjee,
Kya shastriji ki mot ke visay par public interest litigation nahi ho sakta? Hum ye sawal kar sakte hai.

1. Kya Shastriji ki mot natural thi? Yadi ha to karan batane se des ke relation kisi country se kaise bigad sakte hai.

2. Kya Shastriji ki mot unnatural hti? Yadi ha to postmortem kyo nahi karaya gaya? Kya mot erstwhile USSR mai hone se hamare des ke kanuno ke tahat post mortom nahi karaya ja sakta tha.

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