बात से मन हल्‍का होता है

Wednesday, September 2, 2009

धन्‍यवाद ब्‍लॉगर साथियों


'ये ब्‍लॉग पर पाठक कब आएंगे' मेरी कल की पोस्‍ट पर रिकार्ड तोड़ पाठकों के आगमन और बेहिसाब (वैसे 32) टिप्‍पणियों के लिए आप सभी का आभार। आप एक बार फिर इस पोस्‍ट पर जाएं और देखें कि टिप्‍पणी करने वाले 32 पाठकों में ब्‍लॉगर कितने हैं और पाठक कितने? यह भी सही है कि स्‍वयं ब्‍लॉगर सबसे बड़ा पाठक है लेकिन हकीकत यह है कि ब्‍लॉगर के अलावा पाठक जब तक नहीं आएंगे तब तक हिन्‍दी ब्‍लॉग जगत को आगे ले जाना मुश्किल होगा। इसके लिए प्रयास होना चाहिए। अधिकांश टिप्‍पणियों से यह प्रतीत हुआ कि मेरे ब्‍लॉग पर पाठक नहीं आ रहे। काफी हद तक यह सही है कि लेकिन मेरा चिंतन अपने ब्‍लॉग तक सीमित नहीं है। मुझे अपेक्षा थी कि तमाम साथी हिन्‍दी ब्‍लॉग जगत से लोगों को जोड़ने के लिए कुछ सुझाव देंगे। अधिकांश ने यही कहा कि लिखते रहिए पाठक अपने आप आएगा। लगातार लिखने वाला और बेहतर लिखने वाले के पास पाठक आ रहे हैं। समीरजी, आशीषजी, अविनाश वाचस्पति, सिद्धार्थजी, प्रवीणजी, बी एस पाबला , अलबेलाजी AlbelaKhatri.com वर्षाजी varsha इसके उदाहरण है। अगर आप गुगल विश्‍लेषण में देखेंगे तो पता चलेगा कि आपकी पोस्‍ट पर वही पाठक आ रहा है जो पिछले लम्‍बे अर्से से आपसे जुड़ा हुआ है। नए पाठक बहुत कम है। मेरा चिंतन है कि कुछ ऐसा होना चाहिए कि ब्‍लॉग पर नियमित रूप से लोग आएं। जिस व्‍यक्ति के पास इंटरनेट कनेक्‍शन है वो ब्‍लॉग की दुनिया में दस्‍तक जरूर दें। विशेषकर हिन्‍दी ब्‍लॉग जगत पर उसका आगमन हो। हम अपने आसपास के ही साथियों को देखेंगे तो पता चलेगा कि ब्‍लॉग के बारे में जानकारी नहीं है। क्‍यों नहीं हम ब्‍लॉग पर इस तरह का नवाचार करें कि सच में पढ़ने वाला पाठक उस पर आए। मेरी चिंता में इस तथ्‍य को भी शामिल किया जाए कि चालीस पार कर चुके अधिकांश लेखक और पाठक ब्‍लॉग से दूर है क्‍योंकि कम्‍प्‍यूटर उनके लिए बहुत टेडी खीर है। हम ऐसे लेखकों को कम्‍प्‍यूटर सीखने के लिए प्रेरित करें और उनकी रचना को पोस्‍ट करने में सहायता करें। मेरे साथी सिद्वार्थ यह काम कर रहे हैं। मेरे जैसे एक दो नहीं बल्कि पांच सात लोगों को उसने ब्‍लॉग को बुखार चढ़ाया। अगर हम सब मिलकर दो चार लोगों को ही इस दुनिया में लाने का प्रयास करेंगे तो यह सपना सच होगा।
विज्ञापन क्‍यों नहीं
पुराना राग है फिर भी अलाप देता हूं कि हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग के आगे नहीं बढ़ने का एक कारण इसमें विज्ञापन नहीं होना भी प्रतीत होता है। क्‍या कारण है कि दुनियाभर में भारतीय विद्यार्थी कम्‍प्‍यूटर तकनीक में डंका बजा रहे हैं और हमारे ही ब्‍लॉग विज्ञापन से वंचित है। क्‍यों गुगल हिन्‍दी ब्‍लॉग को अछूत मानकर विज्ञापन से किनारे कर देता है। क्‍या ऐसा कोई ब्‍लॉग माध्‍यम विकसित नहीं हो सकता, जिससे कि हिन्‍दी के ब्‍लॉगर भी विज्ञापन प्राप्‍त कर सकें। इस दिशा में सभी को मिलकर सोचना होगा। मुझे नहीं पता कि हिन्‍दी ब्‍लॉगर से गुगल को या अन्‍य किसी 'गल' को कितना लाभ हो रहा है, लेकिन इतना स्‍पष्‍ट है कि नुकसान बिल्‍कुल नहीं है।
फिर से धन्‍यवाद कि आप मेरे ब्‍लॉग पर पधारे। मेरे ऊपर आप सभी की कृपा हुई। आभार। संभव हो तो इस बारे में सुझाव अवश्‍य दें कि आगे क्‍या कर सकते हैं। मैं समीरजी को विश्‍वास दिलाता हूं कि बीकानेर से इसकी शुरूआत जरूर होगी। हम जल्‍दी ही बीकानेर में एक कार्यशाला आयोजित करने जा रहे हैं जिसमें युवा वर्ग को ब्‍लॉग के बारे में जानकारी दी जाएगी। शायद यह प्रयास कुछ सार्थक हो।

6 comments:

निर्मला कपिला said...

अनुराग जी बहुत बडिया प्रयास है जो आप ब्लोग के बारे मे कार्यशाला का आयोजन करने जा रहे हैं मैने भी 60 साल की उमर मे थिडा बहुत कम्पयूटर सीख कर बलागिन्ग शुरू की है बहुत अच्छा लगा इसके बारे मे कादम्बिनी पत्रिका मे कभी पढा था फिर अपने दामाद से पूछा बस उसने मुझे जैसे नयी जिन्दगी दे दी अप बुढापे का अकेलापन नहीं सालता मुझे तो वरदान साबित हुअ ब्लोग बहुत बहुत धन्यवाद इस आलेख और ररयास के लिये

Khushdeep Sehgal said...

अनुराग भाई, बहुत ही बढ़िया सोच है आपकी, कार्यशाला के लिए यहाँ नॉएडा से मैं कुछ कर सकूं तो बताइयेगा..मेरा ई-मेल है-sehgalkd@gmail. आपको रिकॉर्ड तोड़ चिट्टा लिखने के लिए बहुत बहुत बधाई.

Unknown said...

आपका यह कहना बिल्कुल सही है कि हिन्दी ब्लोग के पास पाठकों का अभाव है। एक बहुत बड़ी संख्या में हिन्दीभाषी युवा प्रायः प्रतिदिन नेट में आते हैं पर मुझे लगता है कि उनकी रुचि याहू जैसे बड़े पोर्टल में जाकर चैटिंग आदि करने तक ही सीमित है। उनमें से अधिकांश को अभी भी नहीं पता है कि हिन्दी में भी ब्लोगिंग हो रही है। यदि हम उनकी रुचि को हिन्दी ब्लोग्स की ओर मोड़ सकें तो हिन्दी ब्लोग के पाठकों की संख्या बढ़ सकती है। यह कैसे किया जाये इस पर सुझाव आने चाहिए।

रही बात गूगल के विज्ञापन की तो आप को यह बता दूँ कि गूगल हिन्दी ब्लोग को अछूत कतइ नहीं समझता पर विज्ञापन प्रदर्शित करने के उसके भी अपने मान दण्ड और नीतियाँ हैं। हिन्दी में भी विज्ञापन लाने के लिए वे भी जुटे हुए हैं और वह दिन अब दूर नहीं है जब आप अपने ब्लोग में भी गूगल के विज्ञापन देखेंगे। इस विषय में मैं जल्दी ही एक प्रविष्टि लिख कर और भी जानकारी दूँगा।

sushilharsh said...

sir
u are correct that your reader is always a bloger and sometime only some time he want to comment on your blog only to show his attendence on your blog so that you read his blog

राज भाटिय़ा said...

अनुराग भाई समय लगेगा ओर लोग भी आयेगे हिन्दी ब्लाम्ग जगत मै मानो यह चमकेगा, अभी कई कारण है, लोगो को पता नही, लोगो के पास हिन्दी के शव्द सही रुप मै नही आते,कईयो के पीसी पर हिन्दी चल नही पाती, बाकी कईयो को अग्रेजी ही अच्छी लगती है, वो हिन्दी को रिक्शा बालो की भाषा समझते है(मै हिन्दी को अपनी मां से भी ज्यादा प्यार करता हुं)ओर भी बहुत से कारण है, लेकिन हिन्दी होगी काम याब देखते रहो.
मुझे हिन्दी बोले ओर लिखे २८ साल से भी ज्यादा समय हो गया था, एक तरह से भुल सा गया था, लेकिन इस ब्लांगिग की वजह से फ़िर से हिन्दी आ गई,

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

मुश्किल यह है कि हम हर ब्लाग को नहीं पढ़ सकते तो हमारी सीमा में रह कर परिचित ब्लागरों के लेख ही पढ पाते हैं। अन्य ब्लाग पर चिठाचर्चा जैसी किसी चर्चा में दिख जाए और विषय मनपसंद हो तो उस ब्लाग को भी देख लेते हैं। पाठक की अपनी सींमा बी है॥