मैंने शुद्व मन से लिखने का प्रयास किया है। उम्मीद है आप अन्यथा नहीं लेंगे।
Monday, August 17, 2009
आशीषजी, नए ब्लॉगर को संघर्ष करना पड़ता है
आशीषजी का ब्लॉग पढ़ने के बाद पहले तो उन्हें कमेंट देने का मन किया, फिर सोचा अपन भी एक पोस्ट ही रगड़ देते हैं। शायद कुछ कमेंट अपने को भी मिल जाए। आपने जिस ब्लॉगर साथी की धज्जियां उड़ाई है, उनका नाम पता मुझे नहीं पता क्योंकि मेरा मेल पता सार्वजनिक नहीं है। फिर भी उसका मेल आता तो मैं सहजता से पढ़ता और एक टिप्पणी भी करता। टिप्पणी यह भी हो सकती थी कि आपका पोस्ट अभी मेहनत मांगता है, आपका पोस्ट बेहतर है, आपको अपने ब्लॉग में और बेहतर तरीके से काम करना चाहिए। आपको मेल करने के बजाय अपनी लेखनी में इतना दम लाना चाहिए कि लोग खुद पढ़े। जी हां ठीक वैसे ही जैसे आशीष जी के आलेख पढ़े जाते हैं, उनके आज 540 फोलोवर है। मैं पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं इसलिए समझता हूं कि लोग स्वयं को स्थापित करने के लिए क्या क्या करते हैं। बहुत संघर्ष करना पड़ता है। विशेषकर लेखक और साहित्य की दुनिया में स्वयं को स्थापित करना बहुत मुश्किल है। समाचार पत्रों में अब साहित्य के लिए इतना स्थान नहीं है कि हर बार एक नए लेखक को प्रकाशित करें। नतीजतन पुराने और प्रतिष्ठित लेखक को ही स्थान मिल पाता है। वैसे भी प्रतिस्पर्द्वा के इस युग में यही संभव है। ऐसे में नए लेखक ब्लॉग की तरफ जुड रहे हैं। वो अपनी लेखनी अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं। बताना चाहते हैं कि उन्होंने लिखा है, देखें कैसा लिखा है। यह नहीं कहा जाता कि सकारात्मक टिप्पणी ही दें। सभी चाहते हैं कि उसके पास अधिक से अधिक पाठक आएं। मैं अपने ब्लॉग पर अलग अलग विषयों पर लिखता हूं। मेरा अध्ययन है संभव है कि गलत हो, कि शिक्षा सहित अनेक गंभीर मुद़दों पर लोग पढ़ना ही नहीं चाहते। आज पाकिस्तान के बारे में कुछ लिखता हूं तो खूब पढ़ने वाले आते हैं। मैंने दुनिया भर के देशों की सूची दी तो बहुत कम लोग आए लेकिन अमरीका पाकिस्तान का जिक्र किया तो काफी पाठक आए। यह पाठक के स्वभाव पर निर्भर है। हर कोई चाहेगा कि उसे ज्यादा से ज्यादा लोग पढ़े। एक बार तो पढ़े फिर पसंद नहीं आए तो दोबारा भले ही उस तरफ मुंह न करें। जैसे कि आपने अपनी पोस्ट के ठीक नीचे ही सदस्य बनने के लिए आग्रह किया है। निसंदेह आपका ब्लॉग ही ऐसा है कि लोग खींचे चले आते हैं, आपकी जानकारी हर किसी को न सिर्फ प्रभावित करने वाली है बल्कि लाभदायी भी है। फिर भी आशीष जी आपको मानना होगा कि नया ब्लॉगर स्वयं के आलेख को सब के सामने पहुंचाने के लिए कुछ प्रयास करता है। जितनी मेहनत से ''उस'' साथी ने ईमेल एकत्र करके अपनी सूचना पहुंचाने का उपक्रम किया, उतनी ही गति से आपने उसका पत्ता साफ कर दिया। नि-संदेह जिन लोगों के पास उक्त पोस्ट पहुंची सभी ने उस लेखक को तो बेकार मान ही लिया होगा। मेरा मानना है कि इस देश में लता मंगेशकर तो एक ही है क्योंकि वो ही इस मंच तक पहुंच सकी, लेकिन उनसे भी बेहतर गाने वाली और भी होगी जो अपने घर में ही मंदिर के आगे बैठकर भजन ही करती है। हम लता मंगेशकर का सम्मान तो करें लेकिन भजन गा रही सामान्य गायिका का अपमान तो नहीं करें। बेहतर होता कि आप सभी इमेल पते देने और ब्लॉगर का नाम हटाने आदि का उपक्रम करने के बजाय अलग से एक पोस्ट देते कि एक साथ सैकड़ों लोगों को पोस्ट करने से क्या नुकसान है, क्या फायदें हैं।
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14 comments:
लगता है इस विषय पर हमें कुछ छापना ही पड़ेगा !
jai hind !
कुछ लोगों को लगता है कि वे स्थापित हो चुके हैं तो नए लोगों को हड़काने का ठेका भी मिल गया है।
प्रकाशन के इस माध्यम में लोग एक-दूसरे का सम्मान कम करते हैं और धज्जियां उड़ाने में ज्यादा विश्वास रखते हैं।
आशीषजी का रैवेया ठीक नहीं है।
आपकी बात से शत-प्रतिशत सहमत।
मेरे ब्लॉग का प्रयोजन हर तरह से नए ब्लॉगर को प्रोत्साहन देना ही है। मैं चाहता हूं कि हिन्दी ब्लॉगिंग में ज्यादा से ज्यादा लोग आएं और अंतर्जाल पर हिन्दी के खज़ाने की समृद्ध करें। इस पोस्ट में मैंने कहीं पर भी न तो किसी साथी का नाम दिया है और न ही पहचान का अन्य तरीका। जिन साथियों की मेल यहां उद्धृत्त की गई हैं, वे केवल मिसाल के लिए हैं और साफ़ कह चुका हूं कि इसे अन्यथा न लिया जाए।
आपको इस बात पर तो सहमत होना पड़ेगा कि आप किसी भी अनजान मेल बॉक्स में अनचाही मेल नहीं छोड़ सकते। मेल छोड़ दी वह भी ठीक.. लेकिन इस तरह 469 अनजान लोगों को ई-मेल पते मुहैया नहीं करा सकते। जब ये मेल पते ज्यादा से ज्यादा लोगों के बीच फैलने लगते हैं तो प्रोफेशनल स्पैमर्स के हाथ भी आसानी से पहुंच जाते हैं। उनकी जुगत तो नए-नए ई-मेल पते जुटाना ही होती है। तो क्या नए साथियों को यह अधिकार दे दिया जाए?
हैपी ब्लॉगिंग :)
Keep Blogging !!
आप किसी भी अनजान मेल बॉक्स में अनचाही मेल नहीं छोड़ सकते। मेल छोड़ दी वह भी ठीक.. लेकिन इस तरह 469 अनजान लोगों को ई-मेल पते मुहैया नहीं करा सकते।
is baat ko bahut baar keha jaa chuka haen aur baar kehna padtaa haen
ek maamuli see baat haen ki email mat bhejae par log nahin samjhna chahtey
bloging comment kae liyae mat karey
Rachna
अरे किसी का मन फिर भी ना माने तो To के बदले Bcc में डाल दे वह सब 400-500 मेल!
किसी को किसी की (ईमेल की) खबर तक नहीं लगेगी :-)
नये ब्लोगर को निसंदेह संघर्ष करना पड़ता है.. पर शोर्टकट ठीक नहीं.. और करना ही है तो पाबला जी का आईडिया अच्छा है..
BLOG WAR
AMITAB BACCHAN JI BHI TENSION MAI HAI BLOG WAR TO VAAK YUUDH JAISE HAI KABI BLOG KO LITERATURE PER BAHAS HO GAYI AB NEW BAHAS ACCHA HAI DEMOCRACY HAI
इस ब्लॉग वार से दूर रह कर अपने विचार रखते रहें,यही ठीक रहेगा...
नया ब्लागर एक दो बार भेजे तब तक तो ठीक है।
पाबला जी की बात से सहमत और अजित जी ने भी सही सुझाव दिया है...
वैसे आशीष जी कि चिन्ता भी वाजिब है...मुझे मेरे ही ई मेल के पते से कई स्पम मिलते रहते हैं।जिन्हे मैं पढे बिना ही डिलीट कर देता हूँ।
अरे! आपको वह सुझाव पसंद आया!? मुझे तो झेलना पड़ रहा है कि ये एक नया हथियार सुझा दिया स्पैमर्स को!!
इसीलिए एक आसान, सभी को स्वीकार्य तरीके के बारे में पोस्ट लिख मारी, ब्लॉग बुखार पर।
और क्या करता?
सर्वप्रथम तो मै आपको धन्यवाद कहूँगा......
फिर सबसे ये कहूँगा की गलती होने पर किसी को समझातें हैं न की उसकी बखिया उधेड़ के रख दे.... वो भी बिना उसे अवगत कराये या बिना चेतावनी दिए......
अब हम भी सबको कहेंगे......
हैप्पी ब्लोगिंग प्यारे......
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