बात से मन हल्‍का होता है

Tuesday, January 20, 2009

वो खा जाते हैं मां का कलेजा?


पाकिस्‍तानी पत्रकारों के साथ मेरे छह दिन काफी रोमांचक रहे लेकिन उस पल को मैं कभी नहीं भूल सकता, जब उन्‍होंने अपने यहां के खानपान के बारे में बताते हुए कहा कि हमारे पाकिस्‍तान में गाय के मांस को सर्वाधिक पसन्‍द किया जाता है।मैंने उसे फिर से पूछा ? उसका जवाब फिर से यही था गाय का। मुझे ऐसे लगा जैसे मां के कलेजे को खाने से भी वो गुरेज नहीं करते। मुझे पहले तो विश्‍वास नहीं हुआ लेकिन जब सौहेल, अशफाक और जुबैर तीनों ने ही इसकी पुष्टि की तो भारी मन से इस घृणित सच को मान लिया। सौहेल ने बताया कि पाकिस्‍तान के हर शहर में गाय का मांस आसानी से उपलब्‍ध हो जाता है। जिस तरह भारत में लोग बकरे का लालन पालन करते हैं ठीक वैसे ही पाकिस्‍तान में गाय का पालन होता है। उन्‍होंने गौ वध पर बहुत कुछ कहा लेकिन वो सब इतना अशोभनीय और दुखदायी है कि मैं इसे लिखने की हिम्‍मत नहीं कर पा रहा। जितना आश्‍चर्य मुझे इस सच पर उतना ही आश्‍चर्य उन्‍हें मेरी बात सुनकर भी हुआ। मैंने बताया कि आप जिसका वध करते हैं, उसे मेरे भारत में मां का दर्जा मिला हुआ है। गाय को मां से कम तो कभी माना ही नहीं गया। जिस तरह बचपन में मां का दूध जीवन देता है ठीक वैसे ही गाय का दूध इस जीवन को स्‍थायी रखता है। भारत में गाय का मांस सुनकर लोगों का कलेजा कांप जाता है। तब सौहेल ने बताया कि पाकिस्‍तान के हिन्‍दू प्रभावी क्षेत्र में गाय का मांस अघोषित रूप से वर्जित है लेकिन यह क्षेत्र काफी छोटा है या यूं कहें कि नगण्‍य है। मुझे उनकी इस बात पर भी विश्‍वास नहीं हुआ कि गायों की आपूर्ति कई बार तो भारत से ही होती है। तस्‍करी के रूप में गाय पाकिस्‍तान पहुंचती और वहां इनका वध कर दिया जाता है। भारतीय गाय काफी स्‍वस्‍थ होती है इसलिए इसका सेवन भी बडे चाव से होता है। भारत से गायों की तस्‍करी होने के कई मामले मैने सुने है लेकिन मुझे सौहेल की इस बात पर जरा भी विश्‍वास नहीं था। क्‍या इनसान इतना भी अमानवीय हो सकता है जो मांस तो मांस गाय के मांस तक को खा जाए। अगर पाकिस्‍तान में सच में ऐसा होता है तो समझ में आता है कि वहां इंसानीयत क्‍यों नहीं पनप रही। मैंने अपने अल्‍प ज्ञान के दम पर ही उन्‍हें गाय की महत्‍ता बताई। तब उन्‍होंने भविष्‍य में गाय का मांस नहीं खाने का विश्‍वास दिलाया जो मेरे लिए आज भी अविश्‍वसनीय है। हे भगवान, उन्‍हें अपने वचन पर दृढ रहने की शक्ति देना।

14 comments:

MANVINDER BHIMBER said...

आप दुखी न हों.....ये उनकी सोच है...हमारी तो नही है न ...

निर्मला कपिला said...

अनुरागआजी माँ का अभिशाप एक दिन उस देश को नष्ट कर देगा चिन्ता मत करें

PD said...

unhe kyon dosh de rahe hain?
yahan chennai me aakar dekhiye.. yahan kai hindoo bhi gay ke mans bahut chav se khate hain.. aur yah khullam-khulla mil bhi jata hai..
mere vichar se aapki soch hindoo sanskriti ka hi ek hissa bhar hai.. vaise meri soch bhi aapse milti hai..

संजय बेंगाणी said...

गाय हिन्दुओं के लिए पुजनीय है, और हमारी मान्यता दुसरों पर लादना गलत है. आप अपने विचारों का प्रचार कर सकते है, मगर किसी को बाध्य नहीं कर सकते.

वैसे माता को सड़कों पर सरे आम घुमते और लाठियाँ खाते नहीं देखा?

रंजू भाटिया said...

सच में यह उनकी सोच है और आप उसकी बदल नही सकते हैं ..उनका आपको बताना ही उनकी सोच को दर्शता है

Arun Arora said...

अनुराग जी आप पाकिस्तान मे गऊ हत्या पर इतने विचलित है . क्या आपको भारत मे गऊ हत्या के बारे मे कुछ नही पता दिल्ली अलीगढ हरियाणा के मेव के मुस्लिम बहुल इलाको मे आपको गऊमांस मिल जायेगा . ये सामान्य सी बात है . देश के कई हिस्सो मे( उत्तर भारतीय इलाका छोडकर)ये सामान्य बात है आपको ढेरो कम्यूनिष्टो और ऐसे हिंदुओ जो अपने को सेकुलर कहलाते है को इस गिद्ध महा भोज का आनन्द लेते और सुनाते पा जायेगे . उनके हिसाब से ये गरीबो का पोष्टिक भोजन है जो काफ़ी सस्ते मे मुस्लिम होटलो मे मिल जाता है . मैने कई नामचीन सेकुलर विचार धारा को लोगो को गऊमांस के हक मे तकरीर करते हुये भी देखा है . हालाकी उनका मतलब सिर्फ़ उनको हिंदुओ के खिलाफ़ उकसाकर अपना वोट बैंक बनाना ही होता है इसीकारण हमारी सरकारे गऊमांस को निषेध घोषित करने के लिये कोई कदम नही उठाती . कश्मीर से लेकर केरल तक मे ये समान्य भोजन है . जिस बकरी का दूध मुस्लिम समुदाय पीता है पालता है उसे काट कर खाने मे उसे दो मिनिट लगते है उसे किसी की जान की परवाह होगी ये आप कैसे यकीन कर सकते है.

Neeraj Rohilla said...

Chicken, goat and lamb are as holy as Cow.

Sanjayji ke vicharon se poori sahmati hai.

mamta said...

आपका सोचना सही है पर संजय जी और पंगेबाज जी ने जो कहा वो भी एक हकीकत है । गोवा मे भी गौ मांस पर कोई रोक-टोक नही है ।

मसिजीवी said...

पवित्र पशु की अवधारणा अपनी सामाजिक आर्थिक स्तिथि के अनुसार होती है तथा युगीन धर्मं उसे कोडीफायी कर लेता है आर्यों के लिए गाय सबसे महत्वपूर्ण पशु था इसलिए उसे इतना महत्व दिया गया आवश्यक नहीं की अन्य समुदाय भी उसे इतना महत्वपूर्ण माने! किसी भी तरह के मांसाहार से कई समुदाय आहात महसूस करते हैं मसलन जैन समुदाय लेकिन उसके बावजूद ये मांसाहार वर्जित तो नहीं ही किया जा सकता अतः अपनी धार्मिक आस्थाओं को दूसरों पर लादने या उस पर इतना हैरान होना ठीक नहीं - शीर्षक खासतौर पर भड़काता सा है

रंजना said...

Mansahaar hi anuchit hai..yah manushyon ke liye nahi.Par ise na manne wale nahi maante.
Ab maans to maans hai chahe kisi bhi pashu ka ho.

Udan Tashtari said...

अब इतने लोग कह चुके तो हम क्या कहें. सब सोच और मान्यताओं की बात है.

ss said...

"अगर पाकिस्‍तान में सच में ऐसा होता है तो समझ में आता है कि वहां इंसानीयत क्‍यों नहीं पनप रही। "

भाई जी चेन्नई, बंगलोर और तटीय प्रदेशों में जाकर देखें सचाई पता लग जायेगी| और गौ मांस पर निषेध हमारे धर्म में है हमारे समाज में है, पाकिस्तानी क्यूँ मानें? गिला तो अपने लोगों से है| जब अपने मानते हों तो दूसरो को सिखाना ठीक है| मुझे पाकिस्तानी पत्रकार्रों पर तरस आता है जिन्हें भारत का यह सच नही मालूम और जिन्होंने आपको उत्तर भी नही दिया|

Astrologer Sidharth said...

अनुरागजी धान खाने वाले लोगों की संख्‍या बहुत कम है। गंगा यमुना कावेरी नर्मदा नदियों से सिंचित क्षेत्र के अलावा बहुत बड़ा भाग ऐसा भी है जहां धान नहीं होता और होता है तो नाममात्र का। ऐसे में कई स्‍थानों पर जब ब्राह्मण मांस खाने को मजबूर हैं तो अन्‍य जातियों और धर्मों की तो बात ही क्‍या।

vikram singh said...

sir ji

ye dunia alag-alag riti rivaz se chalti hai gay hmare liye maa hai unke liy nahi.vo to unke liye anay janvaro ki trha ak janvar hai.hum bakry ka dudh pite to kya use khate nahi.hmare kai state me kisan apne ballo ko matra 400-500 me bech dete hai kyonki unke pass chare ke paise nahi hai or kisano ko patta hota hai ki ye ball aage jaker katenge.

samay bada balwan hai sub kuchh usi ke anusar hota hai hum kuchh nahi kar sakte.

hindu hone ke nate me puri trha aapke sath hoon.