Saturday, January 17, 2009
मंदिर और पाकिस्तानी पत्रकार
पॅनास की कार्यशाला में हम पत्रकार कम और विद़यार्थी अधिक थे। ऐसे में हमें बहुत कम समय नेपाल की यात्रा के लिए मिल पाता था। शाम को छह बजे बाद घूमते लेकिन आठ बजे तक अधिकांश बाजार बंद हो जाते। ऐसे में विश्वविख्यात पशुपति नाथ मंदिर में दर्शन की उम्मीद नहीं थी। आयोजक जानते थे कि भारत से आए पत्रकारों के लिए नेपाल का अर्थ ही पशुपतिनाथ मंदिर है। वहां आयोजकों विशेषकर मीतू व डैनी ने हमारे लिए एक दिन सत्र को आधा करके पशुपतिनाथ मंदिर यात्रा की व्यवस्था की। हमारे साथ पाकिस्तानी पत्रकार बतुल भी हो गई। हम जैसे ही पशुपति नाथ पहुंचे वहां सभी अलग अलग हो गए। वहां का अद़भूत दृश्य मन को सुकून देने वाला था। पाश्चात्य शैली में सजे धजे मकान और भगवा रंग से अटे साधु महात्माओं का जमावडा काफी प्रभावित करने वाला था। पशुपति नाथ के मुख्य द्वार पर पहुंचते ही मन भक्ति से ओतप्रोत हो गया। अंदर पांव रखा तो अपने कद से कई गुना ऊंचा नन्दी को निहारते ही रह गए। मंदिर में दर्शन करने में हमें करीब आधा घंटा लगा। पशुपति नाथ का दर्शन करके लगा कि जीवन में जो तीर्थ अंतिम पडाव में होता है वो बहुत पहले करने का अवसर मिल गया। मैं दर्शन करके बाहर आया तो वहां एक बोर्ड पर लिखा था केवल हिन्दूओं के लिए प्रवेश यह देखकर मुझे आश्चर्य हुआ क्योंकि आमतौर पर भारत में भी मंदिरों पर ऐसे बोर्ड दिखाई नहीं देते। तब तक नेपाल एकमात्र हिन्दू देश होने का अभिमान भी खो चुका था। अभी मैं इस बोर्ड पर अपना चिंतन कर ही रहा था कि मुझे मंदिर में से बतुल निकलती हुई दिखाई दी। नि:संदेश बतुल मुसलमान थी और नियमानुसार उसका मंदिर में जाना अनुचित था। मैंने बोर्ड की तरफ इशारा किया। जिसमें हिन्दी में लिखा वो समझ नहीं सकी। तब मैंने अर्थ बताया। उसने आश्चर्य जताया लेकिन अपनी मंदिर यात्रा से काफी रोमांचक नजर आई। बतुल ने जिस श्रृद्वा के साथ हाथ जोडे, अपना सिर ढका और निकलते धोक दी, कहीं नहीं लग रहा था कि वो हिन्दू व्यवस्था से अनभिज्ञ है। इतना ही नहीं बतुल ने बोर्ड से नजर हटाकर मंदिर की तरफ मुंह करके क्षमा याचना भी की। लेकिन मंदिर दर्शन का गर्व कम नहीं हुआ। बतुल ने मंदिर के बारे में कुछ जानकारी दी तो हमें आश्चर्य हुआ। दरअसल, वो इस मंदिर के बारे में पहले से जानती थी। यह मेरी भावुकता थी या मूर्खता मुझे नहीं पता लेकिन उसके मंदिर प्रवेश पर मुझे किंचितमात्र भी आपत्ति नहीं थी। उसके धार्मिक भाव का दर्शन चेहरे से किया जा सकता था, ईश्वर के प्रति उसकी आस्था उसके व्यवहार में झलक रही थी। वो मंदिर में आने से पहले संभवत: इंटरनेट से इस मंदिर के बारे में कुछ सामान्य ज्ञान लेकर पहुंची थी। मंदिर दर्शन के बाद जब हम रात को एक होटल में खाने के लिए बैठे तो मैंने पाकिस्तानी पत्रकारों के समक्ष इस सवाल को रखा कि क्या पाकिस्तान में मंदिर है। सौहेल ने बताया कि पाकिस्तान में मंदिरों की कमी नहीं है। कट़टरवाद हावी होने के बावजूद वहां मंदिर अपनी जगह कायम हैं और नियमित रूप से इन मंदिरों में पूजा होती है। मंदिरों को तोडने की खबरों को भी उसने गलत नहीं माना। सौहेल का कहना था कि कट़टरवाद के कारण कई बार ऐसा हुआ लेकिन पाकिस्तान का आम आदमी मंदिर को लेकर परेशान नहीं है। इतना ही नहीं कई जगह तो मंदिरों के आयोजन में वहां के मुसलमान हिस्सा भी बनते हैं। मंदिर के पुजारियों से लोगों के घरेलू संबंध हैं। रात के समय इन मंदिरों से घंटियों की आवाज सुनाई देती है। इसके बावजूद सौहेल ने माना कि पाकिस्तान में हिन्दूवादी व्यवस्था के लिए ज्यादा जगह नहीं है क्योंकि कट़टरवाद लगातार बढ रहा है। स्वयं सौहेल इस स्थिति से प्रसन्न नहीं था। अशफाक और जुबैर अंजुम ने भी पाकिस्तान में भारतीय मंदिरों की अच्छी स्थिति बताई। आज के हालात में जब पाकिस्तान से बडी संख्या में हिन्दू पलायन करके भारत आ रहे हैं, अकेले राजस्थान से सटी पाक सीमा पर ही एक लाख पाकविस्थापित है। इनमें हजारों को तो बकायदा भारतीय नागरिकता दी जा चुकी है। बीकानेर की खाजूवाला विधानसभा सीट सहित राजस्थान की कुछ सीटों पर तो बकायदा पाक विस्थापित इतनी संख्या में है कि हार जीत में भूमिका भी निभाते हैं। एक सीट पर तो पाक विस्थापित जीतकर विधायक बन चुका है। ऐसे में वहां हिन्दू की अच्छी स्थिति होने की पाकिस्तानी पत्रकारों की बात अब हजम नहीं हो रही। तमन्ना है कि एक दिन ऐसा भी आए जब मुझे पाकिस्तान जाने का मौका मिले और मैं उन मंदिरों का दर्शन करके आऊं, जिन्हें मेरे पत्रकार साथियों ने अच्छी स्थिति में बताया था।
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4 comments:
उनसे पाक के मन्दिरों के टुटने, हिन्दुओं की कम होती जन्सन्ख्या को बाबरी मस्जिद के टुटने के बाद मचे हंगामें को जोडने को कहियेगा।
पाकिस्तानी महिला पत्रकार का मन्दिर के प्रति आस्था हमें बहुत अच्छा लगा. हमें लगता है की भारत में आवश्यकता से अधिक आजादी मिली हुई है.
http://mallar.wordpress.com
सच में उनकी मंदिरों के पार्टी आस्था देख कर अच्छा लगा ..आपकी तरह मेरा भी दिल होता है कि एक बार वहां के मंदिरों और ननकाना साहिब देख कर आऊं :)
तमन्ना है कि एक दिन ऐसा भी आए जब मुझे पाकिस्तान जाने का मौका मिले और मैं उन मंदिरों का दर्शन करके आऊं, जिन्हें मेरे पत्रकार साथियों ने अच्छी स्थिति में बताया था।
.... आमीन
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