पिछले दिनों मीडिया के पास जो सबसे बडा मुद़दा था वो सानिया मिर्जा और पाकिस्तानी क्रिकेटर सोएब मलिक के निकाह का था। हमारी मीडिया को चिंता थी कि सानिया की शादी आखिर कैसे हो सकती है, आयशा का ऐसा टिविस्ट डाला कि सास बहु सीरियल की टीआरपी भी कम हो गई। मेरी घरवाली सानिया को नहीं जानती लेकिन उसने भी साफ कह दिया कि यह तो गलत है, आयशा है तो फिर सानिया क्यों ? दो दिन बाद ही उसने कहा कि सानिया का पति कितना अच्छा है, उसने वो ही सूट पहना जो हैदराबादी लोग पहनते हैं, मैं सुनता रहा। दो दिन गुजरे और उसने मुझे फिर टोका कि देखो सानिया के रिसेप्श्ान में 29 तरह के पकवान थे। इस बीच दांतेवाडा में क्या हुआ, मनमोहन सिंह का ओबामा से मेल मिलाप कैसा रहा, उस पर ध्यान नहीं गया। एक और खबर पर उसका ध्यान गया तो वो थी इंडियन असेम्बली के चिकने चुपडे, सुपर स्टार, शशि थरूर की खबर पर। अब वो बार बार पूछती है कि इन दिनों थरूर किस मॉडल के साथ है, ये फिल्म में मोदी कहां से आ गया। सच कहूं तो इन दिनों मेरे घर में सास बहू के सीरियल कम और न्यूज चैनल अधिक देखे जा रहे हैं। क्यों न देखें? इसमें सारा मसाला आ रहा है और वो भी सच्ची दुनिया स्टाइल मे। अब तक चैनल वालों के निशाने पर अमिताभ बच्चन है, शाहरुख खान है, महेश भूपति है। इन लोगों के कारण चैनल वाले बडे परेशान है। आखिर यह लोग सानिया के रिसेप्शन में क्यों नहीं आए। आते तो खबर तीन चार बार ज्यादा रिपीट हो जाती। नहीं आने से करोडों का नुकसान हो गया। इसे कहते हैं बेगानी शादी में अब्दुला दिवाना।
किसी ने यह खबर नहीं दी कि सानिया पाकिस्तानी खिलाडी से शादी करने से भारत पाक संबंधों पर कोई असर पडेगा क्या ? पाकिस्तान ने कहा है कि सानिया अब पाकिस्तान की इज्जत है तो क्या शोएब मलिक भारतीय गेंदबाज की बॉल पर छक्का मारेगा तो हम तालियां बजाएंगे ? क्या शोएब मलिक को हम उतनी ही इज्जत देंगे। क्या दोनों देशों के राजनेता इस मुबारक मौके पर एक दुसरे के साथ बैठकर समस्या निपटा सकेंगे। कुछ चैनलों ने इस समाचार को पूरी तरह फिल्मी स्टाइल में ही दिखाया। आखिर नक्सलवाद पर मारे गए जवानों के प्रति हम कब जिम्मेदार होंगे। उनकी कवरेज क्यों नहीं हुई। अगर यही दिखाना था तो न्यूज चैनल ही क्यों। एंटरटेनमेंट चैनल पर ही यह काम कर लेते।
4 comments:
भई सानिया सानिया है। अब न ये हमारी है और न ही उनकी। अब ये शोएब की सानिया है। अब देखना ये है इन दोनों मियां-बीवी की आगे की जिंदगी कैसी कटती है। कितना ये देश और खेल के लिए कर पाते हैं.
भाभीजी तक पहुंचने के साथ ही मीडिया अपने प्रयास में सफल हो गया। अब तो हवाई की सिगार और फ्रांसिसी शराब की बोतलें खोल लेनी चाहिए... पता नहीं कितने न्यूजरूम में खुली भी होंगी...
आम आदमी से इतर घर के दूसरे सदस्य यानि महिलाएं और बच्चे मीडिया का लक्ष्य है... इसके लिए पता नहीं क्या क्या पापड़ बेलने पड़ रहे हैं..
वैसे मैं सोच रहा था कि सानिया को क्या जरूरत थी कि अपनी सगाई की सार्वजनिक घोषणा करने की... क्या यह बुझती लौ की आखिरी लपट थी...
सानिया खेल में अपना सब कुछ कर चुकी है। खेल के अंतिम चरण में अपने ग्लैमर के नाम पर कुछ बटोरना ही लक्ष्य हो सकता है।
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