Tuesday, June 9, 2009
ओम व्यास ओम
अरे रामलाल बैठ जा। मुझे पता है यह रामलाल हमारे घनश्याम दास का बेटा है। पास वाले बोल रहे हैं कि श्याम लाल का बेटा है। इन्हें पता नहीं हमें पता है कि दुनिया की नजर में रामलाल श्याम लाल का बेटा है और असल में वो घनश्यामदास का बेटा है। ...... अगले जो कवि आ रहे हैं उन्हें जरा ध्यान से सुनना, बहुत एंटीक चीज है, अस्सी पार है, अगली बार शायद ही दर्शन हो सके। बीकानेर के रेलवे स्टेडियम में करीब पांच वर्ष पहले ओम व्यास ओम ने इसी अंदाज में हजारों की भीड़ में अंगुली उठाकर अज्ञात को राम लाल बना दिया। लोग इतने हंसे की कविता से ज्यादा उनकी संचालन शैली और शब्दों पर लोटपोट हो गए। भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी और वर्तमान में राजस्थान में पुलिस अधीक्षक आनन्द वदर्धन शुक्ला के निकटतम मित्र होने के कारण ओम व्यास ओम बीकानेर आए थे। तब भी उनकी मंचीय अदाकारी में मौत और मौत से तमाशा सबसे प्रिय विषय था। वो हर हाल में दर्शक को मंच से हंसाना जानते हैं। वो समझते है कि हजार दुखों पर एक हंसी का फव्वारा कितना कारगर होता है। दिल और दिमाग में जब दुनियादारी की फिजूल चिंता भारी हो जाती है तो हंसी ही उस तनाव को हवा कर सकती है। ओम व्यास ओम आज भोपाल में जीवन और मौत के बीच संघर्ष कर रहे हैं। निश्चित रूप से हजारों लोगों को खुशी का अहसास कराने वालों की दुआ उन्हें मौत के जंजाल से खींच कर फिर हमारे बीच लाएगी। ओमप्रकाश आदित्य, नीरज पुरी और लाडसिंह के निधन का हम सभी को दुख है।
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6 comments:
हर्ष जी,
ओम जी को हमारी शुभकामनायें वे जल्दी ही स्वस्थय होकर लौटें और अपने श्रोतागणों को पुनः वैसे ही गुदगुदायें।
ईश्वर उन्हें लंबी आयु प्रदान करें।
मुकेश कुमार तिवारी
hi anurag ji. thanks for visiting......... my blog.....n giving your valuable comments......
ओम जी को मेरी तरफ़ से शुभ्कामनायें
ओम मेरे बेहद करीबी दोस्तों में था ....हजारों राते साथ गुजारीं हम ने ...बहुत बदमाशियां कीं...उसे मेरी कुछ बातें बहुत रिझातीं थीं और उस की कुछ चोबीस कैरट अदाओं पर मैं फ़िदा था ...कुछ वक़्त अलगाव भी रहा ..पर उस में भी घरेलू यारी बनी रही ....अब भी ९ जून से लगभग रोज मैं उसे ICU में जागने के लिए झिड़क कर आता था ...वो जमीं फोड़ कर पानी पीने वाला अद्भुत कौतुकी था ..पता नहीं इस सत्र में और आगे उस की याद कहाँ कहाँ रुलाएगी ...भाभी ,पप्पू [उसका भाई ], भोलू और आयुष [उसे बेटे ] दीदी सब को इश्वर शक्ति दे ...उस माँ को क्या कहूँ जिस की कविता सुनाता- सुनाता वो मसखरा हर रात बिग बी से ले कर कुली तक सब की आखों से नमी चुरा कर ले जाता था ..... स्वर्ग में ठहाकों का माहोल बना रहा होगा ..चश्मे से किसी अप्सरा को घूर कर ....
परसों ही मैं अपनी पत्नी के साथ बेटी के स्कूल में दाखिले के लिए जा रहा था रास्ते में मैंने कार का स्टीरियो चालू किया और पत्नी को ओम् व्यास जी की माता पिता वाली कविता सुनाई. आँखों को नाम करते हुए हम दोनों नें बड़ी शिद्दत के साथ व्यास जी को याद किया और उनके स्वास्थ्य लाभ की कामना की. मुझे क्या पता था की एक दिन बाद ही वो हमारी नाम आखों को भिगो कर रख देंगे. मेरी नज़र मैं उनका कोई पर्याय नहीं है. उनकी आत्मा के लिए शांति और घर के लिए संवेदनाये ही व्यक्त कर सकता हूँ.
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